जिला सचिवालय में एनडीआरएफ व जिला प्रशासन के सहयोग से भूकम्प को लेकर माॅक ड्रिल का आयोजन .
पंचकूला 20 अक्तूबर- सैक्टर 1 स्थित जिला सचिवालय में एनडीआरएफ व जिला प्रशासन के सहयोग से भूकम्प को लेकर माॅक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस माॅक ड्रिल में उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा व एनडीआरएफ गाजियाबाद के डिप्टी कमाण्डेंट कुलेश आनन्द ने सभी विभागों के सहयोग से रेसक्यू आपरेशन किया गया।
माॅक ड्रिल के दोरान आपातकाल सायरन बजते ही भवन को खाली कर दिया गया और सभी विभागाध्यक्षों ने इंसीडेंट कमाण्डर को अवगत करवाया। अचानक आए भूकम्प में 15 व्यक्ति मलबे में दब गए। उन्हें निकालने के लिए रैस्क्यू किया गया। एनडीआरएफ की टीम ने 8 व्यक्तियों को सकुशल निकाल लिया लेकिन दो व्यक्तियों की कैज्यूलटी हो गई। इसके अलावा सैक्टर 5 स्थित परेड ग्राउंण्ड मेें स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ राहत कैम्प बनाया गया।
माॅक ड्रील के दौरान एम्बुलेंस, फायर बिग्रेड, जेसीबी आदि सभी आवश्यक उपकरण समय पर पहंुच गए। इसके अलावा एनडीआरएफ ने भी स्टोर, मेडिसन, सैटेलाईट, कम्युनिकेशन आदि के उपकरण लगाए गए। एनडीआरएफ टीम ने रैस्क्यू के दौरान सचिवालय की सबसे उपर की मंजिल से रोप वे के माध्यम से घायलों को बाहर निकाला। इस प्रकार माॅक ड्रिल सार्थक रही।
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पंचकूला 20 अक्तूबर- उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने जिला सचिवालय के सभागार में माॅक ड्रिल के बाद अधिकारियों की बैठक लेकर भूकम्प को लेकर विस्तार से फीड बैक ली और उनके सुझाव आमंत्रित किए।
उपायुक्त नेे कहा कि सभी विभागाध्यक्ष अपने सिस्टम को अलर्ट रखें ताकि भूकम्प आने पर तुरन्त सम्पर्क किया जा सके। उन्होंने कहा कि सिविल डिफेंस कार्यालय में जिला स्तरीय कंट्रोल रूम स्थापित किया जाए ओर उसका दूरभाष नम्बर भी प्रसारित किया जाए। इसके लिए स्टाफ की रोस्टर अनुसार डयूटी लगाई जाए। होम गार्ड में रैस्क्यू टीम का गठन किया जाए। फायर विभाग में तीन चार लाईने दूरभाष हेतू शामिल की जाए ताकि आसानी से जानकारी हासिल हो सके।
उपायुक्त ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को जिला सचिवालय भवन, अस्पताल आदि का तकनीकी रूप से परीक्षण करने के निर्देश दिए ताकि यह पता चल सके की यह भवन किस लेवल तक के भूकम्प को आसानी से झेल सकता है। इसके अलावा इन भवनों के एमरजेंसी निकासी ओर कोरिडोर बालकाॅनी भी खाली होनी चाहिए।
बैठक में अवगत करवाया कि आगजनी की घटना होने पर ग्राउण्ड पर लेटकर निकलना चाहिए। क्योंकि धूंआ नीचे से तीन फीट ऊंचाई पर रहता है ओर कोई भी दुर्घटना नहीं होती। इसके लिए विशेषकर महिलाओं एवं स्वंय सहायता समूहों के प्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षण करवाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि माॅक ड्रिल में जनता को शामिल किया जाए ताकि वे भी संवेदनशील हो सके।
एनडीआरएफ के डिप्टी कमाण्डेंट कुलेश आनन्द ने कहा कि यह हमारी सब की जरूरत है। इसलिए हमें अपनी डयूटी व दायित्वों के प्रति सजग ओर सचेत रहना चाहिए। इसके अलावा जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन एक्शन प्लान बना होना चाहिए जिसमें आवश्यक दिशा निर्देशों के बारे में विस्तार से जानकारी हो ताकि रैस्क्यू के दौरान जान व माल की कम से कम हानि हो।
बैठक में एसडीएम कालका ने माॅक ड्रिल को सार्थक करने पर सभी का आभार जताया ओर हमेशा इस तरह की आपदा से निपटने के लिए तत्पर रहने का आहवान किया। नगराधीश धीरज चहल, जिला राजस्व अधिकारी नरेश कुमार, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी कंवर दमन सिंह, सचिव रैडक्रास, सविता अग्रवाल सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे ओर अपने अपने सुझाव दिये।
फोटो कैप्शन- माॅक ड्रिल के दौरान रोप वे से पीड़ित को निकालते, प्राथमिक उपचार के लिए ले जाते व करते हुए। भूकम्प के दौरान उपयोग किए जाने वाले उपकरणों का अवलोकन करते हुए उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा व डिप्टी कमाण्डेंट कुलेश आनन्द के साथ प्रशासनिक अधिकारी।
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पराली प्रबन्धन हेतू 1000 रू0 प्रति एकड़ प्रोत्साहन- उपायुक्त
पंचकूला 20 अक्तूबर- उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि जिला की रायपुररानी व बरवाला खण्ड में धान फसल की कटाई का जोरो पर चल रहा है। इस फसल की ज्यादातर कटाई कम्बाईन हारवेस्टर से की जाती है। जिसके फलस्वरूप फसल का कुछ अवशेष बच जाता हैं। फसल अवशेष न जलाने बारे लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
उपायुक्त ने बताया कि इस फसल अवशेष को प्रायः किसानों द्वारा जला दिया जाता हैं। फसल अवशेष जलाने से भूमि में मौजूद आवश्यक कार्बन तत्व, सूक्ष्म पोषक तत्व व जीवाणु नष्ट हो जाते हैं जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। आग लगाने से उत्पन्न धुऐं से दिल व फेंफड़ों की बीमारियों की सम्भावना बनी रहती है जिससे अस्थमा इत्यादि बिमारी हो जाती है। आग से पर्यावरण में मौजूद आॅक्सीजन की कमी भी जो जाती है। प्रायः कई बार देखने में आया है कि आग से जान व माल का भारी नुकसान भी हो जाता हैं।
उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए उच्चतम न्यायालय व राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिशा निर्देश जारी किए हैं। यदि किसी किसान द्वारा फसल अवशेष जलाए जाते हैं तो उससे 2500/़-रू से 15000/-रू तक का जुर्माना वसूल किया जाता है। जिला पंचकूला में अभी तक केवल 19 फायर लोकेशन हरसेक के माध्यम से मिली है जिसके अनुसार 15 किसानों से जुर्माना वसूल किया जा चुका है।
उपायुक्त ने बताया कि हरियाणा सरकार ने पराली की गाठें बनाने पर किसानों को 1000/-रू0 प्रति एकड प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है जिसके लिए किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल ंहतपींतलंदंबतउण्बवउ पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। पंजीकरण के लिए किसान का आधार कार्ड न0 व मोबाईल न0 का डालना अनिवार्य है। उसके उपरान्त किसान द्वारा डाले गए मोबाईल न0 पर ओटीपी आता है। ओटीपी डालने के बाद सबमिट करने पर किसान का पोर्टल पर पंजीकरण हो जाता है।
उन्होंने बताया कि पंजीकरण होने के उपरान्त यह प्रोत्साहन राशि केवल उन्ही किसानों को दी जाएगी जिन किसानों ने अपनी फसल अवशेष की गाठें बना कर किसी नजदीकी उद्योग को बेच कर बिल प्राप्त किया है, व जिन किसानों ने पंचायत की जमीन पर इन गाठों को इक्टठा करके रखा हुआ है। सरकार द्वारा गठित कमेटी द्वारा बिलों का सत्यापन व पंचायत की जमीन पर इक्टठा की गई गाठों का भौतिक सत्यापन् करने के उपरान्त ही किसानों को उपरोक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
उपायुक्त ने जिला के किसानों से अपील की है कि कृषि विभाग के पोर्टल ंहतपींतलंदंबतउण्बवउ पोर्टल पर पंजीकरण करके इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाऐं।