फ्रांस से की कंपनी से लोन लिया तो अगले 20 साल तक लगातार बढ़ाना पड़ेगा पानी का रेट, आम जनता को झेलनी पड़ेगी आर्थिक परेशानी।
चंडीगढ़ : चंडीगढ़ को 24 घंटे पानी उपलब्ध करवाने की योजना को लागु करने के लिए 444 करोड़ 79 लाख का लोन चंडीगढ़ नगर निगम फ्रांस की ए एफ डी एजेंसी से लेने की लिए एम ओ यू साइन किया हुए है और इस प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए फ्रांस का एक शिष्टमंडल पांच दिवसीय दौरे पर चंडीगढ़ आया हुआ है| इसकी समीक्षा के बाद नगर निगम चंडीगढ़ को ये लोन मिल जायेगा| दौरे के चौथे दिन फ्रांस के शिष्ट मंडल ने पार्षदों और कुछ रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों से मुलाकात की थी और इन से जानना चाहा है की क्या चंडीगढ़ को 24 घंटे पानी की सप्लाई की जरूरत है, तो सभी पार्षदों ने इसकी हामी भरी तब फ्रांस के शिष्ट मंडल ने कहा था की लोन लेने पर आप को पानी के बिलों में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी, इस पर भी सभी पार्षदों ने पानी के बिलों के रेट बढ़ाने के लिए सहमति दिखाई| अब इसका चौतरफा विरोध हो रहा है|
इस पर चंडीगढ़ की समाज सेवी संस्था समस्या समाधान टीम के मनोज शुक्ला ने विरोध करने हुए कहा है कि पिछले एक साल में पानी के बिलों में बेहतशा बढ़ोतरी की गई है| हर साल तीन प्रतिशत के हिसाब से पानी के रेट बढोतरी को भी मंजूरी दी जा चुकी है और अब अगर चंडीगढ़ नगर निगम ये लोन लेगा तो उनको ये लोन उतारने के लिए चंडीगढ़ की जनता पर और टैक्स लगाना पड़ेगा या फिर पानी के बिलों में ओर बढ़ोतरी करनी पड़ेगी| कोरोना महामारी के कारण पहले ही लोग आर्थिक मंदी से जूझ रहे है और ऐसे में हर साल पानी के बिलों में बढोतरी आम जनता के लिए परेशानी का कारण बनने वाली है और आने वाले समय में लोगो की आधी तन्खवाह पानी के बिल भरने में जाने वाली है, इसलिय हमे डर है की चंडीगढ़ में भी बोलीविया के साल 1999 वाले जैसे हालात पैदा न हो जाये| बोलीविया में दिसम्बर 1999 से लेकर अप्रेल 2000 में गृह युद्ध हुआ था जो वहा पर पानी के बिलों में बढ़ोतरी के खिलाफ था क्योकि लोगो की ज्यदातर तनख्वाह पानी का बिल देने में चली जाती थी, इतिहास में यह बोलीविया वाटर वार के नाम से दर्ज है, जो पानी बढोतरी वापसी के बाद ख़तम हुआ था| हमने और हमारी संस्था ने पानी बढोतरी और इस लोन लेने के खिलाफ सभी मंत्रियो और अफसरों को पत्र लिखा हुआ है|
इस पर समस्या समाधान टीम के प्रधान ए के सूद का कहना है की चंडीगढ़ को 24 घंटे पानी उपलब्ध करवाने की योजना की चंडीगढ़ में कोई खास जरूरत नही है क्योंकि राष्ट्रीय मानदंडो के अनुसार पानी की खपत प्रति व्यक्ति 135 लीटर प्रति दिन प्रति व्यक्ति है और चंडीगढ़ में ये 256 लीटर प्रति दिन प्रति व्यक्ति उपलब्ध है, जो की राष्ट्रीय मानदंडो के अनुसार 121 लिटर ज्यादा है, इसलिए चंडीगढ़ में 24 घंटे पानी सप्लाई की कोई विशेष जरूरत नही है| चंडीगढ़ के अधिकांश भागो में पानी के लो प्रेशर और पानी ना आने की समस्या है, सरकार को इस पर काम करने की जरूरत है।
इस पर रवि ज्योति का कहना है की सभी बुधिजिवियो का मानना है की धरती पर दिन प्रतिदिन पानी का स्तर घटता जा रहा है और ऐसे में हमे और चंडीगढ़ प्रशासन को पानी को सरंक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाइए और उन्होंने भी यही कहा की इस योजना के लागु होने से पानी की बर्बादी बढेगी और ये योजना भारत सरकार की पानी के संरक्षण और उसे बचाने की “अटल जल योजना” के खिलाफ है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत पानी कि विकट समस्या से जूझ रहा है और उन्होंने भारत को पानी कि समस्या के हिसाब से 122 देशों की सूची में से 120 वे स्थान पर रखा है। नीति आयोग कि रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 के अंत तक भारत के 100 प्रमुख शहर बिना पानी के हो जाएंगे और इसको देखते हुए हम सभी को पानी का संरक्षण करना चाहिए, मगर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 24 घंटे पानी उपलब्ध करवाना पानी की बर्बादी है इसलिय हमने प्रधानमंत्री और जल शक्ति मंत्री को इस योजना को रोकने के लिए पहले भी कई दफा पत्र लिखा है।
इस पर समस्या समाधान टीम के रमेश ठाकुर का कहना था की स्मार्ट सिटी के तहत चंडीगढ़ में 24 घंटे पानी उपलब्ध कराने की योजना का नीव पत्थर 21 अक्टूबर 2016 को रखा गया था और केंद्र सरकार द्वारा इस काम के लिए 30 करोड़ का फंड चंडीगढ़ को दिया गया था और उस समय ये काम एक साल में पूरा हो जाना चाहिए था परन्तु अभी तक इस योजना की शुरुआत भी नहीं हुई है। इस पैसे की खपत कहा की गयी है, नही पता और अब फ्रांस से मिलने वाले इस लोन पर 2026 तक कोई ब्याज नही लगेगा, मगर इसकी पहली किस्त 2027 से 2 फीसदी ब्याज के हिसाब से देनी पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत सब से पहले चंडीगढ़ का सेक्टर 13 (मनीमाजरा) को चुना गया है और यहाँ गौर करने वाली बात है की अभी तक किसी भी कंपनी ने टेंडर में हिस्सा नहीं लिया है।इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा की इस काम को पूरा होने में ओर समय लग सकता है और उक्त फ़्रांसिसी एजेंसी से लेने वाले लोन की बर्बादी होना तय है, जिसका हर्जाना आम जनता को बढ़े हुए बिल भुगतना के रूप में करना ही पड़ेगा।