प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित 10 वीं वैबबैठक में डाॅ.गिरीन्द्र तलेगांवकर का गायन

Chandigarh-7.8.20,प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित की जा रही वैबबैठक की श्रृंखला की 10वीं कड़ी में आगरा के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक डाॅ.गिरीन्द्र तलेगांवकर गायन के नाम रही । सांगीतिक परिवार में जन्में गिरीन्द्र ने संगीत की शिक्षा अपने पिता स्वर्गीय श्री रघुनाथ तलेगांवकर से प्राप्त की । ग्वालियर घराने से सम्बन्धित गिरीन्द्र को ख्याल गायकी में महारथ हासिल है । संगीत को नए आयाम देने वाले गिरीन्द्र ने अपने कड़े रियाज़ से संगीत प्रेमियों के दिल में खास जगह बनाई है ।
गिरीन्द्र तलेगांवकर प्राचीन कला केन्द्र से सहबद्ध है और भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं ।आज की वैबबैठक का सीधा प्रसारण रात 8ण्00 बजे केन्द्र के अधिकृत कार्यकारी यूट्यूब चैनल एवं फेसबुक पेज पर किया जा रहा है ।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत गिरीन्द्र ने राग पूरीया कल्याण से की जिसमें आलाप के पश्चात उन्होंने विलम्बित ख्याल में निबद्ध रचना ‘‘साॅंझ भई घर आए कुॅंवर’’ उपरांत मध्य लय तीन ताल से सजी रचना ‘‘मितवा मोरे सजना’’ एवं एक तराना पेश किया ।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राग मियां मल्हार में मध्य लय तीन ताल में निबद्ध रचना ‘‘मिहरवां बरसन लागे’’ पेश की । इसके पश्चात आपने गुरू एवं पिता पंडित रघुनाथ तलेगांवकर जी की रचना ‘‘ गरज गरज घन’’ प्रस्तुत की । कार्यक्रम का समापन उन्होंने एक पारम्परिक चैती ‘‘ चलत-चलत चित लागे’’ से किया ।उनके साथ तबले पर श्री दिनेश खिंची एवं हारमोनियम पर गौरव भट्ट ने बखूबी संगत की ।