हरिगुण लिखा न जाए – सी0 एल0 गुलाटी
चण्डीगढ 8 दिसम्बर 2019ः इस धरती पर समय≤ पर आए गुरू-पीर-पैगम्बरों द्वारा विभिन्न भाषाओं में लिखे धार्मिक-ग्रन्थ ईश्वर-अल्लाह-गाड-वाहेगुरू के गुणों से भरे पड़े हैं तभी यह कहा गया है कि “हरिगुण लिखा न जाए” सात समुन्द्रों की यदि स्याही बना दी जाए, सारी वनस्पति की कलम बना दी जाए और सारी धरती को कागज बना दिया जाए तब भी इस परमात्मा के गुणों का ब्यान नहीं किया जा सकता लेकिन यह बात आम इन्सान की समझ से परे है क्योंकि इस बात को केवल वही समझ सकता है जिसने वर्तमान सत्गुरू की शरण में जाकर इस परमात्मा की जानकारी प्राप्त की हो ये उद्गार आज यहां देहली से आए सन्त निरंकारी मण्डल के सचिव श्री सी एल गुलाटी ने यहां सैक्टर 30-ऐ में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हुए विशाल सत्संग में हज़ारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए ।
2. श्री गुलाटी ने आगे कहा कि आज का आम इन्सान ईश्वर की परिभाषा तक ही सीमित है वह न तो परमात्मा की जानकारी रखता है और न ही इस बारे में उसके मन में तीव्रता होती है क्योंकि जिस भी धार्मिक संस्था या गुरू के पास वह जाता है तो वहां पर वह दुनियावी सुखों अर्थात धन-दौलत आदि की ही मांग करता है परमात्मा की जानकारी के बारे में वह कोई प्रार्थना नहीं करता, जबकि स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है कि हर इन्सान के मन में प्रभु-परमात्मा को जानने की इतनी तीव्र जिज्ञासा होनी चाहिए जिस प्रकार एक समुन्द्र में डूबते हुए इन्सान को बाहर निकलने की तीव्र इच्छा होती है ।
3. परमात्मा की जानकारी को प्राथमिकता देने बारे श्री गुलाटी ने बताया कि आज दुनियां के कोने कोने में जाकर सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज यह आवाज़ दे रहे हैं कि इस परमात्मा को देखा और जाना जा सकता है लेकिन इन्सान इसे यह सोच कर इसे अनसुना कर देता है कि अभी तो और इतने आवश्यक काम पड़े हैं अभी तो इतने वर्ष और जिन्दगी पड़ी है यह काम तो बाद में भी कर लिया जाएगा लेकिन भक्त कबीर जी चेतावनी देते हुए कहते हैं कबीर नगाड़ा कूच का बाजत है दिन रात….. हे इन्सान इस जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है कोई पता नहीं कब आखिरी स्वास आ जाए इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस परमात्मा की जानकारी हासिल करके अपने मानुषजन्म को सफल कर ले क्योंकि मानुष जन्म में प्राप्त की गई अन्य सभी उपलब्धियों को शून्य माना गया है यदि इन्सान ने मानुष जन्म में अपनी आत्मा को परमात्मा से नहीं जोड़ा