हरियाणा सरकार ने धान की फसलों के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया.

पंचकूला, 28 अक्तूबर- हरियाणा सरकार ने धान की फसलों के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया है। फसलों के अवशेष जलाना पर्यावरण प्रदूषण कंट्रोल एक्ट का उल्लंघन है। इसमें ईपीसी एक्ट 1981 की धारा 188 के तहत दिन मास की सजा व जुर्माना भी हो सकता है।
उपकृषि निदेशक डा. वजीर सिंह ने बताया कि फसलों के अवशेष न जलाने से फसल अवशेषों को कंबोस्ट खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। मिट्टी में मिलाने से जैविक कार्बन की मात्रा वृद्धि होती है तथा भूमि के भौतिक एवं रासायनिक गुणों में सुधार होता है। मृदा नमी संरक्षण में सहायक है। जैविक कार्बन की मात्रा में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा भूमि की जल ग्रहण करने की क्षमता में वृद्धि के साथ साथ अपवाह में कमी आती है।
उन्होंने बताया कि फसलों के अवशेष जलाने से हवा में कार्बन, नाईट्रोजन तथा हाड्र्रो कार्बन की मात्रा बढ़ जाती है एवं प्रदूषण में वृद्धि होती है। ग्रीन हाऊस गैसों में वृद्धि होने से ग्लोबल वार्मिन होती है। वातावरण में एरोसैल्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे कौहरा बनता है। उन्होंने बताया कि अनाज वाली फसलों के अवशेषों में पोषक तत्व पाए जाते है जोकि जलाने से नष्ट हो जाते है। धुएं से मनुष्य तथा पशुओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अवशेष जलाने से आस पास के खेतों में खरीफ फसल मेंभी आग लगने का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि किसानों को फसलों के अवशेष एवं फाने न जलाने बारे विभाग की ओर से जागरुक करने के लिए एक पब्लिसीटी वैन चलाई जा रही है। वैन द्वारा खंड रायपुररानी व बरवाला के सभी गांवों में प्रचार प्रसार किया जाएगा ताकि किसान जागरुक हो सके।

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