घग्गर नदी में बारिश के तेज बहाव के कारण दो लड़कियों की हुई मृत्यु पर गहरा शोक – डॉ० गरिमा मित्तल.
पंचकूला, 31 जुलाई- उपायुक्त पंचकूला डॉ० गरिमा मित्तल ने कल घग्गर नदी में बारिश के तेज बहाव के कारण दो लड़कियों की हुई मृत्यु पर गहरा शोक प्रकट करते हुए लोगों से आग्रह किया है कि वे ऐसी घटनाओं से सजग रहें और मानसून सीजन के दौरान अपने बच्चों व अन्य जानकारों को घग्गर नदी व इसके साथ बहते अन्य बरसाती नालों में जाने से रोकें।
उपायुक्त ने बताया कि मानसून सीजन आरंभ होने से पहले ही जिला प्रशासन एवं जिला सूचना एवं जन संपर्क कार्यालय द्वारा इस संबंध में प्रचार-प्रसार किया गया था कि लोग बारिश के दौरान अपने बच्चों को नदी में जाने से रोकें और जिन्होंने अस्थाई आशियाने बना रखे थे, उन्हें भी सलाह दी गई थी कि वे उन्हें कहीं और शिफ्ट कर लें। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा चल रही है। इससे भी भीड़ बढती है और आवागमन में असुविधा होती है। शिव भक्त भी अपने आप को सुरक्षित रखें और यातायात नियमों का पालन करते हुए मानसून सीजन का ध्यान रखें कि कहीं भी नदी-नालों में जल प्रवाह भारी हो सकता है।
डॉ० मित्तल के दिशा-निर्देशानुसार आज कालका के एसडीएम आशुतोष राजन ने घग्गर नदी का दौरा किया और जहां झरने से कल दो लड़कियों के बहने की खबर मिली थी उसका जायजा लिया और वहां पर पिकनिक मना रहे युवाओं को समझाया कि पहाडों पर किसी भी समय अधिक बारिश हो सकती है और जल प्रवाह का यहां पता नहीं चल सकता और यहीं कारण कल की दुखदायी घटना का रहा है। श्री राजन के अनुरोध पर उपस्थित बच्चे वहां से चले गए और जिला प्रशासन का चेतावनी के लिए धन्यवाद किया। श्री राजन ने पुलिस प्रशासन को भी घटना स्थल पर जाने का अनुरोध किया जिस पर पुलिस पीसीआर मौके पर पहुंची। उन्होंने स्थानीय लोगों से भी अपील की कि वे बाहर से आने वाले बच्चों को समय-समय पर समझाते रहें कि यहां किसी भी समय पानी का बहाव जोरों पर आ सकता है और यहां तक कि हाथी भी इसका सामना नहीं कर सकता।
श्री राजन ने सहायक जिला सूचना अधिकारी श्री सितेंद्र राणा का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया जिन्होंने घटना स्थल पर मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया और जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि श्री राणा ने आज बरसात के समय भी बुज्रकोटियां, आम्बवाला, चण्डीमंदिर, सूरजपुर, जुल्मगढ, खडक़ मंगोली और घग्गर किनारे माजरी चौंक बसी बस्तियों में प्रचार किया और लोगों को अपने बच्चों को घग्गर नदी में जाने से रोकने का अनुरोध किया। आम तौर पर झुग्गी-झोपडी वाले बच्चे नदी में लोगों द्वारा प्रवाह की जा रही हवन सामग्री को एकत्रित करने के लालच में नदी में उतर जाते हैं, जिसकी उनके अभिभावकों को जानकारी नहीं होती और कई बार बच्चे दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। यहां तक की उनकी मौत भी हो जाती है।