गिद्ध प्रजाति के संरक्षण के लिये आरम्भ किये गए कार्यक्रम
पंच·ुला 13 नवम्बर- हरियाणा के मुख्यमन्त्री श्री मनोहर लाल ने वन विभाग द्वारा लुप्त हो रही गिद्ध प्रजाति के संरक्षण के लिये आरम्भ किये गए कार्यक्रम के तहत आज पिंजौर के जटायु संरक्षण प्रजनन केन्द्र से एशिया के पहले जिप्स गिद्ध प्राकृतिक घर वापसी कार्यक्रम के तहत 10 गिद्धों को पक्षी गृह में छोडक़र इस कार्यक्रम की सफलता की शुरूआत की।
आरम्भ में ये गिद्ध प्रजनन केन्द्र की 100 किलोमीटर की नियंत्रित परिधि में आवास करेंगे और अपनी प्रजाति के जंगली गिद्धों से रूबरू होंगे। इन दस गिद्धों में दो हिमालय गिद्ध हैं जो उस समय पकड़ी गई थी जब वे बच्ची थीं और बीमार थीं। शेष गिद्ध सफेद पीठ व काली चोंच वाले हैं जिन्हें इस केन्द्र में प्रजनित किया गया है। इन गिद्धों की पीठ में ट्रांसमिटर भी लगाए गए हैं जो केन्द्र को डाटा उपलब्ध करवाएंगे।
बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमन्त्री ने कहा कि प्राचीन समय में गिद्धों को जटायु के नाम से जाना जाता था। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है कि दस गिद्धों को प्राकृतिक वासस्थल में छोड़ा गया है। गिद्धों की कई वर्षों से घट रही संख्या पर चिन्ता व्यक्त करते हुए मुख्यमन्त्री ने कहा कि पहले गिद्ध जाति की संख्या चार करोड़ थी जो घट-घट कर एक लाख के आसपास आ गई है। हरियाणा वन एवं वन्य जीव विभाग ने विलुप्त हो रही इस प्रजाति के संरक्षण के लिये प्रजनित गिद्ध की एक अनूठी पहल की है। उन्होंने डिक्लोफिनैक दवा जो बीमार पशुओं को दी जाती है लेकिन जब गिद्ध इस दवा से उपचारित मृत पशु के शरीर को खाते हैं तो उन पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे के कारण इनकी संख्या दिन-प्रतिदिन घटती गई। हालांकि सरकार ने डिक्लोफिनैक दवा की मात्रा नियंत्रित की है।