प्रदेश में बेतहाशा बढ़ाई गई बिजली दरों के खिलाफ पंचकूला स्थित शक्ति भवन के सामने कांग्रेस ने धरना दिया।

चण्डीगढ़  7 अक्तुबर, 2015: हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने आज प्रदेश में बेतहाशा बढ़ाई गई बिजली दरों केखिलाफ पंचकूला स्थित शक्ति भवन के सामने धरना दिया। इस धरने में कांग्रेस के सांसदों, विधायकों, पूर्व विधायकों, पूर्व मंत्रियोंसहित प्रदेश भर के हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए। धरने को सम्बोधित करते हुए हुड्डा ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिकजीवन में बिजली की दरों में ऐसी अनावश्यक तथा अंधाधुंध बढ़ोतरी इससे पूर्व कभी नहीं देखी। छोटे-छोटे उपभोक्ताओं के भारी-भारी बिजली बिलों ने प्रदेश भर में हाहाकार मचा रखी है। जिस घर में भी बिजली का बिल जाता है, उस पर अंकित राशि को देखते हीसम्बन्धित व्यक्ति के होश उड़ जाते हैं। इसके अतिरिक्त बिजली कम्पनियां बिना कुछ सोचे समझे आंख बन्द करके उपभोक्ताओंको बिल भेज रही हैं। कुछ उपभोक्ताओं को तो मकान की कीमत से ज्यादा बिजली का बिल भेज रखा है। दो कमरों के छोटे से घर कालाखों का बिल जनता के साथ क्रूर सरकारी मजाक नहीं तो और क्या है ? उन्होंने हरियाणा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा किहरियाणा की जनता इस सरकारी अत्याचार को किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी और इसका मुंहतोड़ जवाब देगी। सरकार यातो बढ़ी हुई दरों को वापिस ले अन्यथा इसके गम्भीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।

                हुड्डा ने कहा कि उनके सरकार से दो सवाल हैं – पहला बिजली की दरों में बढ़ोतरी क्यों की गई, दूसरा जनता बढ़ी हुई दरोंके भारी-भरकम बिजली बिलों का भुगतान कैसे करेगी ?

                जहां तक बिजली बिलों में बढ़ोतरी का सवाल है न तो सरकार ने कोई नया थर्मल प्लांट लगाया है जैसा कि उनकेकार्यकाल में चार नये थर्मल प्लांट लगे थे, जिसके कारण हरियाणा बिजली में आत्मनिर्भर हुआ था। न ही भाजपा सरकार ने बिजलीका कोई बिल माफ किया है जैसा कि उन्होंने सरकार बनते ही 1600 करोड़ रूपये के बिजली के बिल माफ किए थे। और न हीअन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं।  हरियाणा में जब  भाजपा सरकार ने बिजली के क्षेत्र में कुछ नया काम किया हीनहीं तो बिल बढ़ाने का औचित्य ही क्या है ?

                हुड्डा ने आगे कहा कि दूसरा, और ज्वलंत सवाल यह है कि जनता इन भारी-भरकम बिलों का भुगतान करेगी कैसे ?किसान की फसल मंडियों में बुरी तरह पिट रही है। मुनाफा तो दूर उसे लागत भी नहीं मिल रही। कांग्रेस शासन में 6000 रूपयेक्विंटल तक बिकने वाला धान 1200 रूपये में बिक रहा है। गन्ने की कीमत का अब तक भुगतान नहीं हुआ है। व्यापार चैपट हो गयाहै। व्यापारी अपनी जमा पूंजी खाकर गुजारा कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों को उनकी सरकार ने जो पंजाब स्केल दिया था, वहवापिस ले लिया है। 25,000 अस्थाई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। वृद्ध अवस्था सम्मान भत्ता तथा विधवा पैंशन1500 रूपये से घटा कर 1200 रूपये कर दिया है। गरीब आदमी का भोजन दाल 200 रूपये किलो तक हो गई है। सरकार ने डीजलपर वैट 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया है। सरकार ने हरियाणा में कोई वर्ग ऐसा नहीं छोड़ा  जिस पर आर्थिक चोट नमारी हो । हर वर्ग की कमर तोड़ दी है। ऐसी स्थिति में सरकार बताए कि बिजली के इन भयंकर बिलों का भुगतान जनता    कैसेकरेगी ?

हुड्डा ने कहा कि सरकार के पास हमारे सवालों का कोई तर्कसंगत जवाब नहीं है तो वे अपने सिर से बला उतारते हुए अनर्गल प्रचारकर रहे हैं कि बिलों की बढ़ोतरी का फैसला पिछली सरकार ने 2013 में ले लिया था, जबकि हकीकत यह है कि वह वित्त विभाग काएक प्रस्ताव था, जिसे 2014  अक्तुबर, जब तक उनकी सरकार रही तो उन्होंने बिजली के बिलों में बढ़ोतरी के किसी भी निर्णय कोलागु नहीं होने दिया। यदि पूर्ववर्ति सरकार के फैसलों को वर्तमान भाजपा सरकार इतना ही सम्मान देती है तो सरकारी कर्मचारियोंकी रिटायरमैंट की उम्र 58 साल की बजाए 60 साल करने, बुढ़ापा पैंशन 1500 रूपये महीना करने और सरकारी कर्मचारियों कोपंजाब के समान वेतनमान देने आदि जैसे पिछली सरकार के जनहितकारी फैसलों को भाजपा सरकार ने क्यों पलट दिया ?

 

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