मुख्यमंत्री ने अमित शाह के समक्ष कृषि कानून रद्द करने और लंबे समय से चल रहे अवरोध को ख़त्म करने पर दिया ज़ोर.

नई दिल्ली, 10 अगस्त:
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बीते लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा के लिहाज़ से पडऩे वाले प्रभाव का हवाला देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कृषि कानून तुरंत रद्द करने के लिए ज़ोर दिया है, क्योंकि इन कानूनों के कारण पंजाब और अन्य राज्यों के किसानों के दरमियान बड़े स्तर पर बेचैनी पाई जा रही है।
सरहद पार से विरोधी ताकतों द्वारा सरकार के खि़लाफ़ गुस्सा भडक़ाने की की जा रही कोशिशों के खतरे पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों की चिंताओं के जल्द हल की माँग की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में लाए गए अध्यादेश के समय से लेकर पंजाब में प्रदर्शन चल रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘चाहे अब तक यह प्रदर्शन बड़े स्तर पर शांतमयी रहे हैं परन्तु इससे लोगों में बढ़ रहा गुस्सा प्रकट होता है, ख़ासकर उस समय पर, जब राज्य वर्ष 2022 के आरंभ में हो रही विधान सभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि पंजाब में लंबे समय से चल रहे आंदोलन के कारण न सिफऱ् आर्थिक गतिविधियाँ बल्कि इसका सामाजिक स्तर पर भी असर होने की संभावना है, विशेष तौर पर उस समय, जब राजनैतिक पार्टियाँ और अन्य समूह अपने-अपने स्टैंड पर अड़े हुए हैं।
रिपोर्टों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन के दिल्ली की सरहदों की तरफ कूच करने के समय से लेकर अब तक 400 किसानों और किसान कामगारों ने अपने हकों के लिए लड़ते हुए जान गंवा दी। मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि उन्होंने इससे पहले श्री शाह से पंजाब से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए समय माँगा था।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों को धान की पराली के प्रबंधन के लिए 100 रुपए प्रति क्विंटल मुआवज़ा देने और डी.ए.पी. की कमी की बढ़ रही शंकाओं को दूर करने के मामले भी सुलझाने की माँग की, क्योंकि डी.ए.पी. की कमी से किसानों की समस्याएँ और बढ़ेंगी।
मुख्यमंत्री ने श्री शाह से अपील की कि वह खाद संबंधी विभाग को पंजाब के लिए संशोधित माँग के मुताबिक डी.ए.पी. का स्टॉक बढ़ाने के लिए तुरंत सलाह दें और समय पर उचित सप्लाई सुनिश्चित बनाने के लिए सप्लायरों को आदेश देने के लिए कहा।
फोसफैटिक खादों की कीमतों में हाल ही में हुई वृद्धि जिसको केंद्र सरकार ने 31 अक्टूबर, 2021 तक सब्सिडी में शामिल कर लेने का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में डी.ए.पी. की कीमतों में स्थिरता और सब्सिडी की सीमा संबंधी अनिश्चितता आने वाले रबी सीज़न में डी.ए.पी. की संभावित कमी के डर बढ़ाने का कारण बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि मार्कफैड द्वारा डी.ए.पी. की आगामी खरीद संबंधी जारी किए गए टैंडरों के प्रति सप्लायरों की स्वीकृति न मिलने के कारण यह शंकाएं और बढ़ रही हैं।
मुख्यमंत्री ने श्री शाह को बताया कि टैंडरिंग के द्वारा डी.ए.पी. की सप्लाई का प्रबंध करने में मार्कफैड को पेश आ रही मुश्किलों के नतीजे के तौर पर राज्य सरकार ने खाद संबंधी केंद्रीय विभाग को अक्टूबर तक पहल के आधार पर 3.5 लाख मीट्रिक टन के अतिरिक्त वितरण और 15 नवंबर, 2021 तक और 1.5 लाख मीट्रिक टन का आवंटन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगस्त और सितम्बर, 2021 के दौरान क्रमवार 0.80 लाख मीट्रिक टन और 0.75 लाख मीट्रिक टन खरीफ की फ़सल की असल माँग की अपेक्षा अगस्त में 0.75 लाख मीट्रिक टन और सितम्बर में 1.5 लाख मीट्रिक टन के अतिरिक्त आवंटन करने की पहले ही अपील कर चुकी है। उन्होंने बताया कि अगस्त के लिए अतिरिक्त आवंटन की माँग को अभी तक मंज़ूरी नहीं दी गई।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि डी.ए.पी. समय पर उपलब्ध होने से उसे खरीदने के लिए पैदा होने वाले डर को घटाने और ब्लैक मार्किटिंग को रोकने में बहुत सहायक सिद्ध होगी, क्योंकि इससे राज्य और केंद्र सरकारों के अक्स को चोट लगती है।
जि़क्रयोग्य है कि पंजाब को रबी के आने वाले सीज़न के लिए 5.5 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. की ज़रूरत है। राज्य में कुल ज़रूरत की लगभग 50 प्रतिशत खाद सहकारी सभाओं के द्वारा सप्लाई होती है। डी.ए.पी. का उपभोग अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के तीसरे हफ़्ते तक के कम समय सीमा तक होता है, जबकि 80 प्रतिशत क्षेत्रफल गेहूँ की बिजाई अधीन लाना होता है। इस कारण अक्टूबर के मध्य तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में डी.ए.पी. की आगामी ज़रूरत होती है, जिससे बिल्कुल मौके पर खाद की कमी से बचा जा सके, जिससे बिजाई पर कोई प्रभाव न पड़े।

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