राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर स्के मार्शल आर्ट के बेहतरीन खिलाड़ी दिए जाने के बावजूद हरियाणा सरकार ने इस खेल को अपनी सूची में शामिल नहीं किया है–हरीश कुमार
चंडीगढ़30/11/17,। राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर स्के मार्शल आर्ट के बेहतरीन खिलाड़ी दिए जाने के बावजूद हरियाणा सरकार ने इस खेल को अपनी सूची में शामिल नहीं किया है। पिछले तीन वर्षों से इस खेल के साथ राजनीति का खेल हो रहा है।
स्के एसोसिएशन हरियाणा के प्रधान-जगजीत सिंह अहलावत, सचिव-हरीश कुमार, वरिष्ठ उपप्रधान मनोज जैन, सह-सचिव गुरदीप खोखर ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मूलत: स्के इंडियन मार्शल आर्ट का ही एक हिस्सा है। जिसके साथ हरियाणा में करीब दो हजार युवा खिलाड़ी जुड़े हुए हैं।
उन्होंने बताया कि हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा वर्ष 2010 में मान्यता प्रदान किए जाने के बाद भारत सरकार ने स्के को 2015 में मान्यता प्रदान की। एसोसिएशन पदाधिकारियों ने बताया कि स्के एसोसिएशन को हरियाणा सरकार द्वारा एसएसए के माध्यम से 45 तथा रमसा केतहत 280 स्कूलों में लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए स्के प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा वर्ष 2011 में नए भर्ती हुए पीटीआई,डीपीआई अध्यापकों को भी एसोसिएशन के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। अब तक हरियाणा में राज्य स्तर की 11 प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा चुका है।
इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने आजतक इस खेल को अपनी सूची में शामिल नहीं किया है। इसके लिए वर्ष 2014 से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन हरियाणा सरकार ने कोई सकारात्मक रूख नहीं अपनाया है। देश के 9 राज्यों में स्के को राज्य सरकारों की स्वीकृति प्रदान होने का दावा करते हुए एसोसिएशन पदाधिकारियों ने बताया कि एसोसिएशन द्वारा हरियाणा में पांच नेशनल गेम्स की मेजबानी की जा चुकी है।
केंद्रीय मंत्री श्रीपद नायक ने 16 जुलाई 2016 को पत्र लिखकर हरियाणा सरकार को स्के गेम को सरकारी खेलों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की। जिसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया।
इसके बाद एसोसिएशन पदाधिकारियों ने 9 दिसंबर 2016 को राज्यपाल के दरबार में पहुंच की। राज्यपाल की सिफारिश पर भी हरियाणा सरकार ने इस खेल को सरकारी खेलों की सूची में शामिल करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने हरियाणा के खेलकूद मंत्री अनिल विज से भी कई बार मुलाकात की लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद 10 अप्रैल 2017 को एसोसिएशन पदाधिकारियों की मांग पर राज्यपाल ने दोबारा हरियाणा सरकार को पत्र लिखा। इस पत्र पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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