ब्रह्मर्षि बावरा ने तीन सिद्धांतों पर विशेषतौर पर बल दिया-सोलंकी
पंचकूला, 20 जनवरी- हरियाणा राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकीसोलंकीसोलंकी शुक्रवार को विराट नगर, पिंजौर में ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज के 81वें जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित हुए।
इस मौके पर राज्यपाल ने ब्रह्र्षि विश्वात्मा बावरा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे अल्पायु में इस दुनिया से चले गए और आज हम उनका 81वीं जयंती मना रहे है। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य भगवान से अधिक प्यार करता है और उनके नजदीक रहता है, ऐसे अच्छे इन्सानों को भगवान अपने पास जल्दी बुला लेता है। ऐसे ही इन्सान बावरा गुरूदेव जी और विवेकानंद जी थे। उन्होंने कहा कि ऐसे महान पुरूष अपने छोटे जीवन में ही इतना कुछ कर जाते है, जितना की अन्य व्यक्ति सौ वर्षों में भी नहीं कर पाता।
उन्होंने कहा कि पिंजौर के विराट नगर में स्थित बावरा के आश्रम के आस पास शांतिमय वातावरण है और ऐसे वातावरण को पाने के लिए हम हमेशा ही तटपर रहते है क्योंकि ऐसे धार्मिक स्थानों पर हमें शांति एवं सुख प्राप्त होता है और जब ये दोनों प्राप्त होते है तो हम चिंतामुक्त हो जाते है। उन्होंने कहा कि समाज को चिंतामुक्त करने के लिए महान पुरूषों ने इस प्रकार के स्थानों का चयन किया है, जहां हम आकर सुख एवं शांति महसूस करते है। उन्होंने कहा कि मनुष्य हेराफेरी व एक दूसरे की टांग खींचने आदि का कार्य अपने जीवन में करता रहता है और ऐसे व्यक्ति ही जीवन में कभी चिंतामुक्त नहीं हो पाते। उन्होंने कहा कि बावरा गुरूदेव ने देश एवं विदेशों में लगभग 30 विद्यालयों का शुभारंभ किया जहां पर विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति एवं योग की शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में योग का महत्वपूर्ण स्थान है और हमें अवश्य ही योग को अपनाना चाहिए क्योंकि समाज एवं राष्ट्र की उन्नति स्वस्थ व्यक्ति पर ही नि र्भर करती है। यह तभी संभव होगा जब हम अपने जीवन में योग को अपनाएंगे।
उन्होंने कहा कि ब्रह्मर्षि बावरा ने तीन सिद्धांतों पर विशेषतौर पर बल दिया, जिनमें बुद्धिमत्ता, प्यार व निस्वार्थ भावना से दूसरों की सेवा करना है। उन्होनें कहा कि बच्चों में असीम ताकत व साहस होता है, यदि उन्हें प्रारंभिक जीवन से ही अच्छे संस्कार मिले तो वे आगे चलकर राष्ट्र एवं समाज के नवनिर्माण में अहम भूमिका नि भा सकते है। उन्होंने कहा कि बचपन एक बार आता है, लेकिन बचपन की यादें बारबार आती है। उन्होंने कहा कि इसलिए ब्रह्र्षि ने विद्यालयों की स्थापना कर बच्चों को शिक्षा के गुर सिखाए। उन्होंने कहा कि समाज में हम बुद्धिमत्ता, प्रेम व निस्वार्थ भाव से सेवा को अपनाकर ही दूसरों का परोपकार कर सकते है और हमारा जीवन ऐसे कार्य करके ही वास्तव में सार्थक सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि यदि हमें समाज में देशभक्ति लानी है तो देश की परंपराओं एवं महापुरूषों द्वारा दिखाए गए रास्तों पर चलकर ही समाज में देशभक्ति की भावन पैदा कर सकते है। उन्होंने कहा कि ब्रह्र्षि बावरा को आज के दिन हमारी यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारे।
इस अवसर पर भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली की पूर्व मेयर आरती मेहरा ने भी ब्रह्र्षि के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन-धन योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नोटबंदी पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा देश के गरीब लोगों को ऊपर उठाने के लिए अनेकों समाज कल्याण स्कीमें चलाने के साथ साथ देश से कालाधन एवं भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में लिए गए निर्णय को ऐतिहासिक बताया।
इस मौके पर ब्रह्र्षि अंतर्राष्ट्रीय मिशन की अध्यक्षता स्वामी कृष्णा कांता ने भी ब्रह्र्षि बावरा जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने मिशन के तहत देश व विदेशों में चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम की शुरूआत एवं समापन पर राष्ट्रीय गान प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत राज्यपाल ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर की। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने के साथ साथ आश्रम के पहली एवं दूसरी कक्षा के बच्चों द्वारा विभिन्न योगासनों का शानदार प्रदर्शन किया गया। इसके साथ साथ चंडीगढ़ कॉलेज की ओर से नोटबंदी पर लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। इसके अतिरिक्त बच्चों द्वारा चंद्रगुप्त अभिषेक पर आधारित लघु नाटिका प्रस्तुत की गई।
इस अवसर पर अंबाला सांसद रतनलाल कटारिया, पंचकूला विधायक ज्ञानचंद गुप्ता, कालका विधायक लतिका शर्मा, पंचकूला उपायुक्त गौरी पराशर जोशी, उपमंडल अधिकारी नागरिक कालका आशुतोष राजन, चंडीगढ़ मेयर आशा कुमारी जेसवाल, पार्षद सुनीता धवन सहित काफी संख्या में स्वामी भी उपस्थित थे।