काले धन का ख़ात्मा करने के जो सरकारी दावे किए जा रहे हैं, उन्हें स्वराज इंडिया बिलकुल खोखला और हास्यास्पद मानती है।

Panchkula 15/11/16,हमने मोदी सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले को खुले दिल से स्वागत किया है। साथ ही विपक्षी दलों से भी इस फैसले को लागू करने में सरकार की मदद करने का आग्रह किया। हम मानते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था को कमज़ोर कर रहे जाली नोटों पर यह कदम निःसंदेह नकेल कसेगा। परंतु इस फैसले का काले धन पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा, ऐसा कहना जल्दबाज़ी और अतिश्योक्ति से परिपूर्ण होगा।
हमने ये शुरू से कहा कि सरकार की असली परीक्षा इस फैसले को लागू करने में होगी। पिछले पाँच दिनों के अनुभव से आज ये कहा जा सकता है सरकार की अधूरी तयारी के कारण आम जनता के लिए यह योजना मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सबब बन गया है।
सरकार की अगंभीर और अधूरी तयारी का पता इससे भी चलता है कि एटीएम में जरुरत के साफ्टवेयर नहीं डाले गए, 50% एटीएम चल नहीं रहे और बैंक कर्मचारी काम की मार से परेशान हो रहे हैं। सबसे चिंताजनक तो ये है कि सरकार अंदाज़ा नहीं लगा पायी कि अर्थव्यवस्था में से एक झटके में 500 और 1000 के नोटों को निकालने का क्या प्रभाव पड़ेगा। देशभर में आम लोग, विशेषकर मध्यम और ग़रीब वर्ग अपने सारे काम काज ठप करके बैंको या एटीएम की लाइनों में लगा हुआ है।
सम्पन्न लोग विशेषकर भारतीय जनता पार्टी से संबंध रखने वालों को विमुद्रीकरण का पता पहले चल गया जिसके बाद उनके बैंक खातों में धन राशि जमा की गई। अन्य माध्यमों से उन्होंने अपने काले धन सफेद कर लिए।
काले धन का ख़ात्मा करने के जो सरकारी दावे किए जा रहे हैं, उन्हें स्वराज इंडिया बिलकुल खोखला और हास्यास्पद मानती है। काले धन का मात्र ३% देश के अंदर कैश नगदी के रूप में उपलब्ध है। यदि सरकार सही में काले धन का ख़ात्मा चाहती है तो विदेशों में जमा धन पर कार्यवाई, बैंको से पैसा लेकर फ़रार हुए लोगों पर कार्यवाई और संस्थागत समाधान जैसे कि लोकपाल की नियुक्ति, सीबीआई और सीवीसी की स्वतंत्रता और सीआईसी पर गंभीरता दिखाती। हम सरकार से मांग करते हैं कि विदेशों से निवेश के रूप में आने वाले पैसों की पूरी तरह से जांच हो और गलत उपयोग के ख़िलाफ़ सख्त कानून बनाए। साथ ही, पिछले दिनों भ्रष्टाचार रोकने वाले कानून में किए बदलाव को सरकार वापस ले।
विमुद्रिकरण की योजना को रोकना या वापिस नहीं लिया जाना चाहिए, जैसा कि कुछ विपक्षी पार्टियां मांग कर रही हैं। हमने पहले दिन से कहा है कि हमारे अर्थव्यवस्था में व्याप्त जाली नोटों के दीमक से लड़ने के लिए इस योजना की अत्यंत आवश्यकता थी। लेकिन हमने ये भी कहा था कि इस फैसले का ज़मीनी क्रियान्वयन मोदी सरकार के प्रशाशनिक कार्यक्षमता का इम्तिहान होगा। ये देखकर हमें अफ़सोस होता है कि इतने बड़े योजना को लागू करने के लिए सरकार ने मूलभूत तैयारी तक नहीं की है।
सरकार को चाहिए कि इस फैसले से आम नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभाव का खुले मन से अध्ययन करे और इसको ठीक करने के लिए ज़रूरी कदम उठाये। 31 दिसम्बर तक हर जगह 500 और 1000 के नोट मान्य किये जायें, ताकि अगले 6-7 हफ़्तों तक लोगों को होने वाली परेशानियों से निजात मिले। साथ ही विपक्ष की अन्य पार्टियों से भी स्वराज इंडिया मांग करती है कि ज़िम्मेदारी का परिचय देते हुए योजना को सफ़ल बनाने में सहयोग करें।