च्ंाद्रिमा के सरोद वादन से सजी केन्द्र की 228 वीं बैठक.

Chandigarh-12/11/16,प्राचीन कला केन्द्र उभरते प्रतिभाषाली कलाकारों के लिए एक ऐसा सम्मानित मंच है जिस पर प्रदर्षन करके हर कलाकार अपने लिए नए आयाम बनाता है। केन्द्र देषभर के प्रतिभाषाली कलाकारों के लिए और भारतीय कलाओं के विकास के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। अपनी इसी परम्परा को बनाए रखने के लिए पिछले चार दषकों से केन्द्र लगातार मासिक बैठकों का आयोजन करता आ रहा है। केन्द्र की 228 वीं बैठक को इस बार दिल्ली से आई प्रतिभाषाली सरोद वादक चंद्रिमा मजूमदार के मधुर सरोद वादन से सजाया गया। चंद्रिमा ने अपनी संुंदर प्रस्तुति से एक यादगार षाम को संजोया।
चंद्रिमा एक ऐसी युवा एवं प्रतिभाषाली सरोद वादक है जिन्होंने तंत्रवादन के एक बेहद मुष्किल वाद्य सरोद को चुन अपने लिए नए आयाम बनाए। चंद्रिमा प्रसिद्ध सरोद वादक नरेंद्र नाथ धर के षिप्यत्व में सरोद वादन की षिक्षा ली। इन्होंने देष के बहुत से सम्मानीय कार्यक्रमों में प्रस्तुतियों देने के साथ-साथ कई सम्मान भी प्राप्त किए हैं। अर्थषास्त्र में स्नात्कोतर चंद्रिमा आजकल देष की प्रसिद्ध संस्था इंडिया हैबीटेट सेंटर में बतौर प्रोग्राम सलाहकार कार्यरत हैं।
आज के अपने कार्यक्रम की षुरूआत चंद्रिमा ने ‘राग पटदीप’ से की। जिसमें उन्होंने विलम्बित गत में आलाप जोड़ झाला की सुंदर प्रस्तुति देकर अपनी कला से सबको अवगत करवाया। इसके उपरांत विलम्बित तीन ताल में गत प्रस्तुत करके खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए चंद्रिमा ने द्रुत तीन ताल में गत प्रस्तुत की। और जोड़ अंग में स्वरों के आपसी सामंजस्य को दर्षा कर झाले के अंग में हाथ की तैयारी को पेष करके खूब वाहवाही अर्जित की। इसके पष्चात इन्होंने राग तिलक कामोद में झपताल की एक सुंदर बंदिष पेष की। कार्यक्रम का समापन चंद्रिमा ने राग खमाज में निबद्ध एक रचना से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में उनके साथ तबले पर दिल्ली के युवा एवं प्रतिभाषाली तबला वादक जुहैब खां ने बखूबी संगत की।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्ार डाॅ.षोभा कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया।