पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आज नई शिक्षा नीति के मसौदे को अंतिम रूप की घोषणा
पंचकूला, 25 सितंबर। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने देने के साथ-साथ कुशल तथा अकुशल मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी दर क्रमश: 9699 रुपए व 7600 रुपए मासिक करने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आज नई शिक्षा नीति के मसौदे को अंतिम रूपकी घोषणा की। पहले ये दरें क्रमश: 6536 रुपए व 5900 रुपए मासिक थी। इसके अलावा उन्होंने मजदूरी की दरों में हर वर्ष 2.31 प्रतिशत की दर से बढ़ाए जाने वाली महंगाई की दरों को भी महंगाई की दर के अनुसार शत-प्रतिशत आधार पर बढ़ाने की घोषणा भी की। बढ़ी हुई दरें एक नवंबर 2015 से प्रभावी होंगी।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित किसान भवन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित नई शिक्षा नीति राज्य स्तरीय परामर्श संगोष्ठी के समापन अवसर पर उपस्थित शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए अंत्योदय का नारा दिया था। उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में प्रदेश में कई वर्षों में बढ़ाई गई न्यूनतम मजदूरी को हरियाणा दिवस पर एक नवंबर से बढ़ाया जा रहा है। न्यूनतम मजदूरी दर हर पांच वर्ष उपरांत बढ़ानी होती हैं, हरियाणा में इन दरों को वर्ष 2007 में बढय़ा गया था और ये वर्ष 2012 से बढ़ाई जानी थी, परंतु पिछली सरकार ने इसे नहीं बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने बताया कि भारतीय मजदूर संघ ने न्यूनतम मजदूरी दर बढ़ाने की मांग की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास के नाते सरकार सडक़ों, भवनों व अन्य आधारभूत संरचना का निर्माण करती हैं परन्तु मानव निर्माण शिक्षा से ही संभव है। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्यों का एक जैसा शरीर होता है परन्तु कोई व्यक्ति सामान्य जीवन जीते हुए भी समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन जाता है, यह अन्तर शिक्षा के कारण होता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने संस्कारी शिक्षा नीति बनाने की पहल की है, जो सबकी संतुष्टी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कारों में कर्तव्य, निष्ठा, समर्पित व त्याग की भावना होती है जबकि पाश्चात संस्कृति में अधिकार प्रधान संस्कार होते है। उन्होंने कहा कि कर्म के सिद्धांत को महत्ता दी गई है, गीता में भी इसका वर्णन किया गया है, कर्म करते जाएं फल की इच्छा न करें। उन्होंने कहा कि सर्वेभवंतु सुखाय, सर्वेभवंतु निरामय अर्थात दूसरों की भलाई करना भारतीय संस्कृति का आरंभ से मूल मंत्र रहा है। उन्होंने कहा कि आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 99 वीं जयंती का है, जिन्होंने अपने लिए कुछ नहीं किया केवल समाज के लिए किया। विशेषकर शिक्षा, आर्थिक क्षेत्र के लिए। मुख्यमंत्री से स्मरण करवाया कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय के सिद्धांतों से प्रभावित होकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था अगर मुझे दो-दो दीन दयाल उपाध्याय मिल जाए तो वे देश का नक्शा बदल देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आजादी के 68 वर्षो बाद जिस गति से देश को विकास की दिशा मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाई। आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विश्व में अपनी एक नई पहचान पुन: स्थापित की है।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 68 वर्षों बाद पहली बार हुआ है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने के लिए जनमानस की भागीदार निचले स्तर से आरंभ की गई है जबकि पहले सरकारी दिल्ली में नीति निर्धारित कर गांव तक पहुंचाती थी। इस बार गांव में ग्राम सभाओं की बैठकों में, खंड स्तर पर, जिला स्तर पर, शहरी स्थानीय निकाय पर अब राज्य स्तर पर परामर्श बैठक आयोजित कर शिक्षाविदो व अन्य व्यक्तियों से सुझाव आमंत्रित किए गए है जिन्हें संकलित कर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने इतने कम समय में नीति का मसौदा तैयार करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों की विशेषकर अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वद्र्धन, निदेशक एमएल कौशिक व रोहताश सिंह खरब व उनकी टीम के अन्य सदस्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा के प्रयासों की सहराना की जिनके मार्गदर्शन में विभाग ने यह मूकाम हासिल किया है।
शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने मुख्यमंत्री व अन्य शिक्षाविदों व विश्ष्ठि व्यक्तियों का नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए राज्य स्तरीय परामर्श बैठक में पहुंचने पर स्वागत किया। उन्होंने बताया कि आज की इस बैठक में शिक्षाविद, गैर सरकारी संगठन, जिला शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी इत्यादि 155 व्यक्तियों ने शिक्षा नीति के 13 थीम पर अपने-अपने निषर्क व सुझाव दिए है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में शिक्षा के व्यवसायीकरण व व्यापारी करण के कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरा है और इसे हमें एक चुनौति के रूप में स्वीकार किया है और इसमें सुधार के अथक प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि आज महान चिंतक व शिक्षाविद पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर शिक्षामंत्री के नाते वे संकल्प लेते है कि वे हर दिन किसी न किसी स्कूल का दौरा अवश्य करेंगे और लोगों की सरकारी स्कूलों में गुणवतापरक शिक्षा उपलब्ध न होने की धारणा को समाप्त करेंगे और सरकारी विद्यालयों में एक संस्कार सक्षम वातावरण उपलब्ध करवाएंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा विभाग विजय वद्र्धन ने अपने संबोधन में कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने के लिए देश की 2.50 लाख ग्राम पंचायते, 6800 खंडों, 3700 शहरी स्थानीय निकाय, 676 जिलों से सुझाव आमंत्रित किए गए है जो आजादी के बाद शिक्षा नीति तैयार करने की सरकार ने नई पहल की है। उन्होंने इस बात से भी अवगत करवाया कि हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है जहां सरकारी स्कूलों में लड़कियों व लडक़ों के लिए अलग-अलग शौचालयों की व्यवस्था की गई है और इस संबंध में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के संयुक्त सचिव का उनके नाम भेजा गया एक अर्धसरकारी पत्र इस बात का प्रमाणित करता है कि विजय वद्र्धन ने इस पत्र की एक कॉपी मुख्यमंत्री को भी दिखाई। उन्होंने पंडित दीन दयाल उपाध्याय की मृत्यु पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के वाक्यांशों का भी स्मरण करवाया। उन्होंने शिक्षा विभाग की ओर से मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि उनके मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति बनाने व शिक्षा विभाग में आमूलचूक परिवर्तन के लिए कड़ी मेहनत व लग्र से कार्य करेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति पर तैयार किए गए पोस्टर का विमोचन भी किया।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक एमएल कौशिक ने मुख्यमंत्री सहित सभी विभूतियों का बैठक में पहुंचने के लिए धन्यवाद किया।
इस अवसर पर मुख्य संसदीय सचिव श्यामसिह राणा, विधायक ज्ञानचंद गुप्ता, मेयर उपेन्द्रकौर आहलुवालिया, अंबाला पंचकूला आयुक्त ओपी सिंह, उपायुक्त पंचकूला विवेक आत्रेय के अलावा राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारी, मौलिक शिक्षा अधिकारी, डाइट प्रार्चाय व शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ साथ शिक्षा सलाहाकार समिति के सदस्य व अन्य शिक्षाविद उपस्थित थे।
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